Wednesday, March 17, 2010

क्यूँ सोंचता कहीं हो ना जाये सांझ

सोंच रहा था गंगा तट पर बैठे,
सूर्यास्त है निश्चित ,सूर्युदय के बाद
पर डर जाता हूँ सोंच , अगर शीघ्र आ गयी वोह सांझ
देख गंगा को मैंने सोंचा ,क्या जीवन है केवल एक नाट्य
मन विच्लिय्त है क्यूँ इसके अंत को लेकर
क्यूँ सोंचता कहीं हो ना जाये सांझ

सोंच रहा था गंगा तट पर बैठे ,
नाट्य ही है क्या मेरा रुदन, और मृगजल मेरी मुसकान
चित्त जिहर रहा था तभी सुना मैंने ,
सन्नाटे को चीरता एक विलाप,
दिखी दूर एक नवयौवना ,श्वेत चादर लपेटे
मन विचलित है क्यूँ इसके रुदन को लेकर
क्यूँ आतंकित हूँ साँझ को लेकर आज

देखा मैंने गंगा तट पर बैठे
ममता की लहर, और सिंदूर का विलाप
अंत था यह ,उस फौजी के पात्र का आज
मन गर्वित हुआ उस पात्र के अभिनय पर
तिरंगे की शान पे हो गयी जिसकी तरुणावस्था कुर्बान

देखा मैंने गंगा तट पर बैठे
फिर हो गयी सांझ

Friday, March 5, 2010

नारी

नारी
मानव तथा मनुषी , विद्वान एवं विदुषी तोह कई कहे जाते हैं!
पर यह जब एक होते हैं, तोह एक नया जीव जग में लाते हैं!
उसके बारे में कई सपने सजाते हैं,पर
उसके आने के समय विह्वल हो जाते हैं!
जो आ रहा है वोह चंदा है यह चांदनी सोंचने लग जाते हैं
चंदा का जीवन अहिं, हम आज चांदनी की कहानी सुनाते है!

खबर मिली है , चांदनी आई है, दिखाते हैं बहोत खुशियाँ लाई है
के अभी पहला अहि, अगली बार चंदा आयेगा, कहकर
लोग उनका दिल बहलाते हैं
यहाँ से शुरू होती है नारी की गाथा -
नारी , औरात , भार्या ..कई नामों से हम उसे बुलाते हैं
हम में से कई उसे विद्या तक न दिलाते हैं
कई बल विवाह कर उसका ही शोषद कर आते हैं
कन्या दान , माहादन किया है यह सोंचकर
पाप करने वालों में सर्वोच हो जाते हैं !

खुद के घर की लक्ष्मी हम उसे मानते नहीं,
दुसरे की लक्ष्मी बना कर दे आते हैं
एक अनजान के हाथों में अपना अंश दे आते हैं
और, वहां भी उसे जनात न मिल पाती,
वोह बेचारी रिश्तों के बोझ तले दब जाती है
वोह बेसहरी अपनी पहचान गवां आती है

ससुराल भी उसको लक्ष्मी, एक नारी जो धन लाती है
मानकर सताता है, कई तोह उसे
इश्वर के द्वार ही पहुंचा आता है!

घर के मंदिर में सब लक्ष्मी को पूजते हैं,
पर लक्ष्मी जब कई रूप में हमारे घर आती है, तोह
हम उसे यहाँ वहां फिराते हैं
यह कौन सा इन्साफ है, क्या हम औरत को एक ही रूप में चाहते हैं,
क्या हम सिफ\रफ उसे वैश्या ही बनाना चाहते हैं
एक की या कई के..काम उस से वही करवाते हैं

क्यूँ हम हर बुराई, हर बीमारी का दोषी औरत को ठहराते हैं!
ताली एक हाँथ से नहीं बजती, औरत खुद के ली यह काम न करती,
क्यूँ हम राधा मीरा के आगे सर झुकाते हैं,और
औरत को पहचान दिलाने को एक कदम न बढ़ाते हैं

शक्ति तोह देवता की भी नारी थी,
चलो वोह कुछ गलती कर गए, हमारे वेद ही नारी को, मनुष्य की कार का कारण कह गए
पर वोह वेदों के रचयिता भी, नारी का अंश थे, किसी नारी का ही वंश थे

वोह गलती कर गए, तुम सुधारों
खुद से नारी का आदर करना जानो
वोह तो बेटी, बहु, दादी नानी बन कर मर जाटी है
और हम कहते हैं, नारी कुछ न कर पाती है
अरे उसे जगह तोह दो, समाज में चलने की
इजात तोह दो, और हौंसला भी
देखो नारी मर्दों को पीछे कर जाएगी
जोह एक महँ पुरुष को पैदा करती है
वोह खुद महँ बन, दुनिया में जगमगाएगी..

यह विनती है हमारी,
नारी की लाज रखो!माँ बेहें , बेटी इन शब्दों का मान रह्को
मान के चलो, लड़की लक्ष्मी नहीं, सरस्वती का रूप है,
शक्ति का स्वरुप है
वोह अगर क्रोधित हो जाएगी, तो धरती विनष्ट हो जाएगी
नर नारी कोस अथ ही चलना है, आज के
वेदों का येही कहना है
अगर नारी मिट जाएगी, तोह नर की पहचान भी हट जाएगी

उम्मीद है इस लेखनी की, की
आज की नारी अपनी अलग पहचान बनेगी!

ayu 's version of meera bai ke dohe!

written in class 8

१ कोई कह तो दे, जो हम न कह सके
वोह सुन तो लें, हम ही दीवाने हैं क्या
परवाने वोह नहीं!
२ दीवानगी न जानी, परवानगी न जानी,
यह जो भी है, बस है ज़िन्दगी हमारी!

३ तुम परदेसी बन के चले जाओगे ,
किसी और के हो जाओगे!
फिर क्या हमे याद फर्माओगे!
हमे तो लगता है , अपने रंग में रंग जाओगे!
हमे भूल जाओगे, हमे भूल जाओगे!

४ आज वादा करते हैं, हम न भूल पाएँगे
तुम्हारे हैं, और शायद तुम्हारे ही रह कर धुल में मिल जाएंगे
कतरे बन हवा में उद्द जाएँगे, और वोह कतरे भी तुम्हे याद फरमाएंगे!
वादा करते हैं, तुम्हारे तोह शायद हो न पाएंगे !
पर किसी और के होना पड़ा, तोह जेते जी मर जाएँगे!
फिर मैं रह जाएगा , हम तोह तुम में मिल जाएगा
वादा करते हैं- हर पल याद फरमाएंगे!
याद फरमाएंगे !

दोस्त

दोस्त
(5 years back)
गर फिरदौस के दिन लौट कर आते नहीं,
वोह दिन हमसे भुलाए जाते नहीं!
अपनों का दामन यूँ चूता की अब हम खुद को संभाल पाते नहीं
जो बचपन से अपना था , जहा बना
जिसके साथ जुदा हमारा हर सपना था
वोह साथी ही हमसे छूट गए
हम तोह एक पल में टूट गए
जब भी कोई ख़ुशी मानते हैं,
उन साथियों को याद फरमाते हैं
जिनके साथ की थी शैतानियाँ, लड़ते थे जिन से !
गूंजती थी जिनके साथ किलकारियां
उन्ही की याद में मोटू की लड़ , आँखों को नम्म कर जाती है
पर एक प्यारी से दोस्त के वादे पर ,
आँहों में सिमट जाती है, पलकें झुक जाती हैं

साथी यहाँ भी हैं, पर उन सा कहाँ
दोस्त यहाँ भी है, पर नवाबीपन जादा
बचपन जहां बीता उसके झारूखे को तरस जाते हैं

पुराने दूर हो गए, बेगाने हो गए
लगता है, कुछ अपने भी अनजाने हो गए!
अब जीवन नए के साथ काटना है,
समय की गति को स्वीकारना है!
पर तुम सब मुझे न भूलना - क्यूंकि
मुझे नहीं है सबको भुलाना
कभी मुझे भी याद फरमाना !
यादों की ओढ़ में लेखनी चुप गयी!
आँखें नम्म होकर फिर झुक गयी!
फिर झुक गयी!

yeh jo yaaraana hai

yeh jo yaarana hai
deewana hai!
hum toh masti ki fizaaon mein
dosti ke saayein mein
jhumte chal pade!
kabhi shartein lagate,
kabhi notein udaate,
kabhi filen churaate,
kabhi usko patate
kabhi fattu ko rulaate
dosti ke saayein mein
jhumte chal pade!
kabhi soncha na tha!
ek din hum bichad jayenge
zamaane ki bheed mei kho jayenge
phir ek din milenge, aur bas
muskuraayenge
un fizzaaon mei
is dosti ke ye pal yaad ayenge

toh abhi
jee lo na yaar
yeh jo yaarana hai
deewana hai!
hum toh masti ki fizaaon mein
dosti ke saayein mein
jhumte chal pade!
aao ghume sath!!
gaao aaj!
yaara hum dosti ke saayein mein
jhumte chal pade!
apni nayi pehchaan banane jhumte chal pade!
hum toh masti ki fizaaon mein
dosti ke saayein mein
jhumte chal pade!

u are my friend forever

ab yaad (yaad) aata hai tu!!
u are my friend foreever

kabhi balance tha kam, kabhi aankhein thi namm
kabhi papa ki daat, kabhi professor se tarraar (kabhi)
Par akele na they hum!
as u are my freind forever
ab yaad yaad aata hai tu!!
yaad aata hai tu!

yuun tham si gayi hai ab zindagi!
raftaar jo mili, gehraaiyaan kho gayi
doorian badh gayi hain,ab darmiyaan!
kabhi soncha na tha,itna yaad ayengi wo mastiyaan!!
u are my friend foreever
ab yaad aata hai tu!

yaara yehi dosti hai
jo badlti hai har pal, wo zindagi hai
badlti zindagi ke sath,badalte hain dost kai,
but
u are my friend forevr
ab yaad aata hai tu!
yaad aaata hai tu'.

nayi hain rahein,
manzil nayi hai
yaadein hain sang'
aur pyari si dosti hai!
yaad aaata hai tu
u are my freind forever
ab yaad aata hai tu
yaad (yaad) ataa hai tu.

aaj hum jo saath hain (song)

AAj hum jo sath hain toh
Aoo hum yunhi jhoom lein!
chedein saanz nayi!
hum hain aawaz nayi
khwaab naye hain
andaaz naye hain
aur hai sath apna ..doston...
AAj hum jo sath hain toh
Aoo hum yunhi jhoom lein!

na jaane kaha honge kal,
yaad ayenge tab dosti ke ye pal
pyaari si batein
dushman ke iraadein
har kaam ki fite,
roof top pe candle lite
yaad ayengi tab...
doston
AAj hum jo sath hain toh
Aoo hum yunhi jhoom lein!

badal raha hai ye zamana,
sath lekar dosti ko badh chalo
chedo saaz nayi
tum ho aawaz nayi
aaj jo sab sath ho to
aao yunhi ghum lo
dostoon
aaon chede saaz nayi
hum hain awaaz nayi
AAj hum jo sath hain toh
Aoo hum yunhi jhoom lein!

दिन

दिन
( भाई की स्कूल मैगज़ीन के लिये लिखी थी)

दिन आते हैं , और आकर चले जाते हैं !
हर दिन अपने साथ हमें कुछ सिखाते जाते हैं!
बस यह सीखने वालों पे है की वोह क्या सीख पातें हैं !
कुछ सीख कर अच्छे कुछ बुरे बन जाते हैं

हर दिन का अपना महत्व है,
पर हम तो मजबूर हैं क्यूंकि
जैसे हम कोयले को साबुन से सजा नहीं सकते
वैसे ही हम मूढों को कुछ सिखा नहीं सकते!

ये कुदरत का करिश्मा है की गह्धा घोड़े से कम,
पर घोडा गधे से जादा सेख लेता है
पहले गधा वजन धोता था,
आजकल घोडा भी कर लेता है!

यह ज़माने की प्रगति है,
जिसने इतना कुछ कितने कुछ को सिखा दिया है!
तुम इतने पे अचंभित हो,
यहाँ इंसान ने अपना ही क्लोन बना दिया है!

जागो कुछ सीखो आअज का दिन जा रहा है!
कल जो आएगा वोह ठहर नहीं जाएयेगा
ऐसा न हुआ न होने पायेगा
एक और मौका तुम्हारे हाँथ से निकल जाएगा!

आज कुछ नहीं गया पर कल चला जाएगा
बेहतर येही है की जागो कुछ करो!
वर्ना समय भाग जाएगा और हाँथ नहीं आएगा
एक और दिन बीत जाएगा! एक और दिन बीत जाएगा!

मैं! nine years back!

मैं!
२००१
आरज़ू तमन्ना अरमान
इन शब्दों को है मेरा यह पैगाम -
"सामने कड़ी है हर मंजिल, हर तोहफे को है मेरा इंतज़ार"
ज़माने की मुझको फ़िक्र भी नहीं, हर उंचाई पे होगा मेरा नाम.
इस आगाज़ से होती है मेरी हर सुबह और शाम!

राहें कुछ चुन लीं है उन्ही पे चलना है!
अपने साथ न दें, पर खुद से वादा है मेरा
गैरों के साथ जीवन भर का रिश्ता नहीं करना है,
.हर मंजिल पानी है! आँखों का छुपाना पानी है!

इन लफ़्ज़ों से मेरी जिंदगानी बयां न होती,
इस लेखनी से मेरी कहानी बाया न होती!
सरस्वती, लक्ष्मी की आराधक हूँ,
शक्ति को अपनइ जानती हूँ
सामर्थ बहोत है और उसे बयान करना चाहती हूँ
किसी राह पे जाने से घबराती नहीं
बस कोई सहारा देदे , उसके सहारे कपो लौटाने का वादा करती हूँ

एक छोटी से किरण हूँ,
पर रौशनी करके आँखों ओ चौंधियाने की आशा रखती हूँ
कुछ करने की आशा रखती हूँ!

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